Posts

Showing posts from July, 2018

बुरा मानने की कला

ऐसे लोग मुझे बहुत पसंद है, जो बुरा मानते हैं | या कहूँ, धरती पे जन्म ही उन्होंने बुरा मानने के लिए लिया होता है | वे इस खुशफहमी में डूबे रहते हैं कि यह दुनिया टिकी ही उनकी बुरा मान...

फीफा और हम

फुटबॉल विश्व कप 'फीफा' में खलीफा भिड़ रहे थे | हम वहां नही थे, देखने-दिखाने को लेकर सरोकार और स्वास्थ्य को लेकर कोई संकट नही था | पर हमारी टीम वहां होती तो यकीनन कुछ और बात होती | तब 90 मिनट की खेल की अवधि में न्यूनतम 180 बार दिल मे रक्तप्रवाह खतरे के निशान से ऊपर बहता | हम किसी विपक्षी टीम द्वारा जमकर पिदाये जाते तो सरकार के निकम्मेपन पर जमकर सवाल उठाते | खिलाड़ियों के धर्म और जाति की बात करते | फुटबॉल की क्वालिटी और उसे हैक किये जाने की आशंका पर घंटो चर्चा करते | वैसे आईपीएल ने खेलखुद के मामले में हमारी सोच को वैश्विक बना दिया है, लेकिन दिल है कि देसीपन के आधार पर बार-बार मचलता है | काश, मेसी जैसा एकाध महेश या रोनाल्डो जैसा कोई रमेश हमारे पास होता ! खेर, कोई खेल बहादुर हो न हो, हमारे पास बयान-बहादुरों की कमी नहीं | एकाध टीम को तो हम निंदात्मक टिप्पणियों के गोल से ही हरा देते |

फीफा कप: इंडिया

अब देखिए ना, वर्ल्ड कप ख़त्म हो चुका, फ्रांस, क्रोएशिया टीमें अपने-अपने घर जा चुकी, लेकिन अपने यहां के लोगों और फूफाजियों की सुई इसी पे अटकी है की जब अहमदाबाद जितनी आबादी वाला क...

देख बेटा

याद है जब देश आजाद हुआ था तब हमारे पुरखे मात्र छत्तीस करोड़ थे | सत्तर साल में हम एक सौ छत्तीस करोड़ है | मतलब पूरे सौ करोड़ का शुद्ध इजाफा | चीन ने कहा बड़ी जनसंख्या हमारी ताकत है, भार...