फीफा कप: इंडिया
अब देखिए ना, वर्ल्ड कप ख़त्म हो चुका, फ्रांस, क्रोएशिया टीमें अपने-अपने घर जा चुकी, लेकिन अपने यहां के लोगों और फूफाजियों की सुई इसी पे अटकी है की जब अहमदाबाद जितनी आबादी वाला क्रोएशिया फीफा कप फाइनल में पहुंच सकता है तो हमारा सवासो करोड़ की आबादी वाला देश क्यों नही ?
अब इन दीवानों को कौन समझाए की फुटबॉल एक जुनून है, एक स्वभाव है, एक अभ्यास है, जो बचपन से करना पड़ता हैं | अपने यहां तो बच्चा शाम को स्कूल से थका मंदा जब घर से लौटता है तो उसमें इतनी हिम्मत भी नहीं बचती कि मटके से खुद ही एक ग्लास पानी भरकर पी ले | रहा-सहा दम कोचिंग क्लास के 'साइन थीटा कॉस थीटा' और फेसबुक, व्हाट्सएप के 'जॉन जॉनी जनार्दन' निकाल देते हैं | ऐसे में पसूड़ा दो घंटे फुटबॉल की प्रैक्टिस करे तो कैसे करे ?
Comments
Post a Comment
cool !!